भोपाल  ।  मध्यप्रदेश के 26 जिलों में अब तक लम्पी वायरस के 9955 मामले प्रकाश में आ चुके है। वहीं अभी तक 128 पशुओं की मौत हो चुकी है।  एक दिन पहले प्रभावित पशुओं की संख्या 8600 थी। इस तरह एक दिन में एक हजार 355 मामले बढ़ गए हैं। गोवंश में लंपी वायरस संक्रमण रोग के मामले बढ़ते जा रहे हैं। रोग को फैलने से रोकने के लिए कम से कम 20 प्रतिशत पशुओं (गोटपाक्स) का टीकाकरण करना आवश्यक है, ताकि उनमें रोग से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। इस लिहाज से कम से कम 36 लाख डोज की जरूरत है, जबकि तीन लाख डोज ही उपलब्ध हैं। अब तक दो लाख 86 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। जरूरत के मुताबिक वैक्सीन भी नहीं मिल रही है। इसका कारण यह है कि केवल दो कंपनियां हेस्टर और इंडियन इम्यूनोलाजिकल वैक्सीन बना रही हैं, जिससे आवश्यकता के अनुसार वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। जिन राज्यों में संक्रमण ज्यादा है, वहां ज्यादा वैक्सीन दी जा रही है। इंदौर, उज्जैन, भोपाल और ग्वालियर संभाग के बाद अब जबलपुर में लंपी बीमारी के दो संदिग्ध पशु मिले हैं। इनमें एक सीहोर और दूसरा बरेला में है। दोनों के रक्त और स्वाब के सैंपल लेकर जांच के लिए भोपाल स्थित उच्च सुरक्षा पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला भेजे गए हैं। पशु चिकित्सा विभाग के अपर मुख्य सचिव जेएन कंसोटिया ने बताया कि जहां संक्रमित पशु मिल रहे हैं वहां पांच किमी के दायरे में सभी गोवंशी पशुओं को और बाकी जगह 20 प्रतिशत को टीका लगाने का लक्ष्य है। वहीं गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी ने बताया कि अभी टीकाकरण को लेकर ज्यादा ध्यान गोशालाओं पर दिया जा रहा है, क्योंकि गोशालाओं में बीमारी फैली तो वहां के सभी गोवशी पशु प्रभावित हो जाएंगे। टीका खरीदने के लिए राशि भारत सरकार से मिल रही है, लेकिन खरीदी पशु चिकित्सा संचालनालय द्वारा की जा रही है। इसके अलावा जिले में पशुपालक समितियों को भी टीका खरीदने के लिए कहा गया है। टीका एक डोज लगाया जाता है जो एक साल के लिए प्रभावी होता है। हर दिन करीब 20 हजार पशुओं का टीकाकरण हो पा रहा है। इस बारे में प्रदेश के पशुपालन मंत्री प्रेम सिंह पटेल का कहना है कि टीका की कमी नहीं है। कहीं से पशुपालकों ने यह शिकायत नहीं की है उनके पशुओं को टीका नहीं लगाया जा रहा है। सभी जिलों में स्टाक है। मांग के अनुसार मिल भी रहा है।