जम्मू  । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर में अफस्पा कानून को लेकर कहा कि देश की सेना भी नहीं चाहती है कि जम्मू कश्मीर में यह कानून रहे। रक्षा मंत्री असम के गुवाहाटी में 1971 के युद्ध के वीरों के सम्मान में अपनी बात रख रहे थे। यह पहली बार नहीं है जब राजनाथ सिंह ने कश्मीर घाटी में अफस्पा को हटाने पर बात की है। 2015 में गृह मंत्री के रूप में जम्मू-कश्मीर की अपनी यात्रा के दौरान सिंह ने कहा था कि सशस्त्र बल अधिनियम को स्थिति के अनुकूल होने पर हटाया जा सकता है। रक्षा मंत्री असम के गुवाहाटी में 1971 के युद्ध के वीरों के अभिनंदन पर सभा को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि देश की सेना भी चाहती है कि जम्मू कश्मीर से अफस्पा कानून जल्द से जल्द हटे। अफस्पा जुलाई 1990 में कश्मीर घाटी में और अगस्त 2000 में जम्मू क्षेत्र में उग्रवाद को रोकने के लिए लगाया गया था। राजनाथ ने कहा कि मणिपुर और नागालैंड के 15 पुलिस स्टेशनों से अफस्पा  हटा दिया गया। यह अपने आप में बहुत मायने रखता है। यह इस क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता का परिणाम है। कोई छोटी बात नहीं है कि पूर्वोत्तर के राज्यों में पिछले 3-4 साल से अफस्पा हटाने का काम किया जा रहा है। हाल ही में असम के 23 जिलों से अफस्पा को पूरी तरह से हटा दिया गया था। गौरतलब है कि बीती 31 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि केंद्र ने दशकों बाद नागालैंड, मणिपुर और असम में अशांत क्षेत्रों को अफस्पा के दायरे में कम करने का फैसला किया है। गृह मंत्री के इस कदम के बाद, कश्मीर घाटी में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों ने जम्मू-कश्मीर से भी अफस्पा को हटाने की मांग की थी। तब नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता तनवीर सादिक ने कहा था, “एक दिन भी नहीं गुजरता जब केंद्र या केंद्र शासित प्रदेश का कोई व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में बेहतर सुरक्षा स्थिति के बारे में बात नहीं करता है। अगर वास्तव में ऐसा है, तो अफस्पा के तहत क्षेत्रों को भी कम क्यों नहीं किया जा रहा है।