राहत की बात यह है कि मजबूत इम्यूनिटी के चलते भारत समेत तमाम देशों में इसका प्रभाव कम नजर आ रहा है। संक्रमण में तेजी के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने की दर नहीं बढ़ी है।
भारत के कई शहरों में कोरोना के बढ़ते केसों के बीच वैज्ञानिकों को आशंका है कि ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट ‘सेंटोरस’ अगला वैश्विक कोरोना वेरिएंट हो सकता है। इसकी वजह यह है कि यह अब तक करीब 20 देशों में फैल चुका है। इसका प्रसार बेहद तेज है। लेकिन राहत की बात यह है कि मजबूत इम्यूनिटी के चलते भारत समेत तमाम देशों में इसका प्रभाव कम नजर आ रहा है। संक्रमण में तेजी के बावजूद अस्पताल में भर्ती होने की दर नहीं बढ़ी है।

ओमिक्रॉन का ही एक नया सब वेरिएंट
दरअसल, नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सेंटोरस यानी बीए. 2.75 पर वैज्ञानिक निगाह रखे हुए हैं। यह ओमिक्रॉन का ही एक नया सब वेरिएंट है जिसके मामले जुलाई में भारत में तेजी से बढ़ने शुरू हुए थे और उसके बाद एशिया और यूरोप समेत 20 देशों में इसका फैसला हो चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में मई से लेकर अब तक एक हजार नमूनों की जीनोम सिक्वेंसिंग की गई थी जिनमें से दो तिहाई मामले बीए 2.75 के थे।

दोबारा संक्रमण की कितनी आशंका
इसके बाद सर्वाधिक मामले बीए-5 के थे जबकि शेष मामले ओमिक्रॉन के अन्य सब वेरिएंट के थे। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि बीए 2.75 के मामले दिल्ली में भी सर्वाधिक पाए गए हैं। लेकिन अब यह स्थिरता की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार बीए 2.75 में एक म्यूटेशन ए452आर है जिससे दोबारा संक्रमण की आशंका बढ़ती है। 

हाइब्रिड इम्यूनिटी के कारण कम प्रभाव
कुछ वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि यह अगले वैश्विक वेरिएंट के रूप में उभर रहा है लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि हाइब्रिड इम्यूनिटी के कारण इसका ज्यादा प्रभाव नहीं दिखेगा। हाइब्रिड इम्यूनिटी का मतलब संक्रमण से उत्पन्न इम्यूनिटी के साथ-साथ टीकाकरण से भी इम्यूनिटी हासिल करना है।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वायरोलाजिस्ट शाहिज जमील के अनुसार ज्यादातर जगहों पर बीए. 2.75 कोई नई लहर पैदा करेगा। हम उस बिंदु पर आ रहे हैं जहां ये वेरिएंट एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और वे लगभग बराबर हैं। इसलिए जिन लोगों को बीए-5 का संक्रमण हुआ है, उन्हें बीए 2.75 का संक्रमण होने की संभावना नहीं है।