कोरबा, एकात्मवाद के प्रणेता, स्वतंत्र भारत को अंत्योदय का दर्शन देने वाले, जनसंघ के संस्थापक पं. दिनदयाल उपाध्याय की जन्म जयन्ती पर भाजपा नेता व जिला ग्रामीण-सहकारी बैंक निगम के पूर्व चेयरमैन देवेंद्र पांडेय ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया है। उनकी जयंती पर याद करते हुए श्री पांडेय ने कहा की पंडित दिनदयाल उपाधाय के विचारो का प्रभाव आज भी भारतवर्ष के लिए प्रासंगिक है। गरीब, दलितों के लिए उनकी सोच और दर्शन भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश के लिए सदा ही प्रासंगिक रहेंगे। उन्ही के विचारो से प्रेरणा लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश की केंद्र सरकार जनहित की दिशा में सतत आगे बढ़ रही है।
      देवेंद्र पांडेय ने पं. दिनदयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंडित दिनदयाल उपाध्याय न सिर्फ भारतीय राजनीतिक चिंतक और राजनेता थे बल्कि अपने प्रखर व्यक्तित्व के बल पर उन्होंने भारतीय जनसंघ की स्थापना की और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ संगठनकर्ता भी रहे। पंडित दिनदयाल उपाध्याय हिंदुत्व विचारधारा के समर्थक थे। जिन्होंने भारतीय सनातन परंपरा को नवीनतम युग के अनुसार करने के लिए एकात्म मानववाद की विचारधारा प्रकट की। पं. दिनदयाल का मानना था की एकात्म मानववाद की विचारधारा का मूल, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद है जो समाजवाद और व्यक्तिवाद से अलग सोचने की आजादी देता हैं। एकात्म मानववाद एक वर्गहीन, जातिविहीन तथा संघर्ष मुक्त सामाजिक व्यवस्था जो साम्यवाद से अलग है उसके रूप में परिभाषित किया वो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक तरीके से भारतीय संस्कृति का एकीकरण होना चाहिए।
पं. दिनदयाल की जयन्ती पर उनकी अमूल्य दर्शन को याद करते हुए श्री पांडेय ने बताया की भारत में रहने वाला और इसके प्रति ममत्व की भावना रखने वाला मानव समूह एक जन हैं। उनकी जीवन प्रणाली, कला, साहित्य, दर्शन सब भारतीय संस्कृति है। इसलिए भारतीय राष्ट्रवाद का आधार यह संस्कृति है। इस संस्कृति में निष्ठा रहे तभी भारत एकात्म रहेगा।