लखनऊ । कुत्तों को सबसे वफादार और जिम्मेदार पालतू जानवरों में गिना जाता है पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते महीने पिटबुल डॉग ने जिस तरह से अपनी बुजुर्ग मालकिन को बेरहमी से नोच-नोचकर मार डाला था, उसका असर अब हर तरफ दिखने लगा है। लखनऊ में पिटबुल डॉग अटैक केस की खबर सामने आने के बाद से दिल्ली-एनसीआर में पिटबुल डॉग्स के कई मालिक अपने पेट्स का ‘त्याग’ कर रहे हैं। कुछ मालिक रात के अंधेरे में कुत्तों की देखरेख करने वाली संस्था के गेट पर ही पिटबुल डॉग को छोड़कर चले जा रहे हैं।
लखनऊ पिटबुल अटैक केस का असर किस कदर हो रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते दो महीनों में ही नोएडा में हाउस ऑफ स्ट्रे एनिमल्स नामक एनजीओ के बाहर कम से कम पांच से छह पिटबुल डॉग्स उनके मालिकों ने छोड़कर चले गए। इसकी जानकारी संगठन के संस्थापक संजय महापात्रा ने दी। उन्होंने कहा कि उन्हें देश भर से पिटबुल डॉग्स के मालिकों से कम से कम 200 फोन कॉल प्राप्त हुए हैं, खासकर लखनऊ की घटना के बाद, जिसमें पिटबुल ने घर में ही 82 वर्षीय मालकिन पर हमला किया था और इस अटैक में महिला की मौत हो गई थी। हालांकि, इसके बाद कुत्ते को नगर निगम की टीम ने 14 दिनों तक निगरानी में रखा था और उसके बाद किसी और को सौंप दिया था।
संजय महापात्रा ने कहा, ‘लोग आधी रात को हमारे एनजीओ के खंभों और गेट पर अपने पिटबुल डॉग्स को बांध कर चले जा रहे हैं। हमें ऐसे मालिकों से कम से कम 200 फोन आए हैं, जो अपने पिटबुल को घर पर रखने से डरते हैं।’ उन्होंने कहा कि पिटबुल को सड़कों पर छोड़ने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उन्होंने कहा कि इसके बजाय इस नस्ल को ‘प्रशिक्षित’ किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सड़कों पर पिटबुल डॉग्स को छोड़ना और भी खतरनाक होगा। मालिक इन कुत्तों को ट्रेन्ड क्यों नहीं कर सकते? वह कहते हैं कि ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे मालिक इन पालतू जानवरों को जिम्मेदारी के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि वे इसे घर में शोभा बढ़ाने के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि उनका एनजीओ यह सुनिश्चित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है कि लोग पिटबुल डॉग्स न छोड़ें।