भोपाल| भोपाल की एक विशेष सीबीआई अदालत ने गुरुवार को व्यापमं घोटाले के मामले में पांच लोगों को दोषी ठहराया और सात साल की सजा सुनाई।

अदालत ने प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जबकि उनके दो सह-आरोपियों को ठोस सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया था।

अदालत में सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले विशेष लोक अभियोजक सतीश दिनकर ने कहा कि सजा पाए लोग 2013 में हुई पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में घोटाले में शामिल थे।

दोषी एक इंजन-बोगी सिस्टम का हिस्सा थे। इस सिस्टम के तहत सजा पाए दोषी दो छात्रों के बीच में बैठकर परीक्षा में कॉपी करवाने का काम करते थे।

सजा पाने वाले पांच लोगों में से चार की पहचान कमल किशोर, अमर सिंह, नागेंद्र सिंह, सुरेश सिंह के रूप में हुई है, जो परीक्षा में फर्जी उम्मीदवार बनकर जाते थे और छात्रों की नकल करने में मदद करते थे, जबकि एक आरोपी दूसरे उम्मीदवार के स्थान पर परीक्षा में बैठा था।

दिनकर ने आईएएनएस को बताया, अदालत में इस विशेष मामले से जुड़े कुल 32 गवाहों से जिरह की गई। उनकी गवाही और घोटाले से जुड़े 200 पन्नों के दस्तावेजों के आधार पर व्यापमं मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति नीतिराज सिंह सिसोदिया ने गुरुवार को फैसला सुनाया।

2013 में उजागर हुए व्यापमं घोटाले से संबंधित 160 मामलों में से कई मामलों की सीबीआई द्वारा जांच जारी है। भोपाल जिला अदालत 54 मामलों की सुनवाई कर रही है, जबकि अन्य मामलों की सुनवाई इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर की विभिन्न अदालतों में हो रही है।

दिनकर ने दावा किया कि लगभग 50 प्रतिशत मामलों को समाप्त कर दिया गया है, जबकि मुख्य मामले में मुकदमा चल रहा है, जिसमें 1300 से अधिक आरोपी हैं। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल और व्यापम के कर्मचारियों समेत सभी प्रमुख आरोपी जमानत पर बाहर हैं।