नई दिल्ली । जर्मनी 26 से 28 जून तक ग्रुप-7 देशों की बैठक करने वाला है, लेकिन इससे भारत से दूर रखने पर विचार कर रहा है। जानकारी के मुता‎बिक यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के खिलाफ न बोलने पर वह भारत से नाराज है। सूत्रों ने कहा कि जी-7  बैठक में जर्मनी सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को शामिल करने पर विचार कर रहा है। दरअसल मेहमानों की सूची यूक्रेन पर हमले से पहले ही तैयार की गई थी, जिसमें भारत भी था लेकिन अब इस सूची को लेकर विचार किया जा रहा है। हालांकि इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में जर्मन सरकार के हवाले से दावा किया गया है कि भारत को लेकर ऐसा कोई विचार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र में रूस को मानवाधिकार परिषद से बाहर करने का प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत समेत 50 देशों ने दूरी बना ली थी। इसके अलावा भारत ने रूस पर प्रतिबंध भी नहीं लगाए हैं। यही नहीं सस्ता तेल भी बड़े पैमाने पर खरीदने की योजना पर काम कर रहा है। रूस से बड़े पैमाने पर हथियारों की खरीददारी भी भारत करता रहा है। हाल ही में एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की खरीद भी भारत ने रूस से की है। ब्लूमबर्ग से बातचीत में जर्मन सरकार के प्रवक्ता स्टेफेन हेबेस्ट्रेट ने कहा कि जल्दी ही जी-7 की गेस्ट लिस्ट फाइनल की जाएगी। 
उन्होंने कहा कि चांसलर कई बार दोहरा चुके हैं कि जर्मनी के ज्यादा से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय साझेदार रूस के खिलाफ पाबंदियां लगाएं। भारत सरकार की ओर से अब तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि जर्मनी खुद यूक्रेन और पोलैंड की आलोचना झेल रहा है। दरअसल जर्मनी की ओर से लगातार रूस से तेल और गैस का आयात जारी है। जर्मनी समेत कई यूरोपीय देशों की रूस पर निर्भरता है। इसकी ओर से भारतीय विदेश मंत्री एस। जयशंकर ने भी इशारा किया था। उन्होंने भारत की ओर से रूस से तेल का आयात करने के सवाल पर कहा था कि हम जितना इंपोर्ट एक महीने में करते हैं, उतना तो यूरोप एक दोपहर में कर लेता है।