न्‍यूयॉर्क । दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था माल ढुलाई हड़ताल की दहलीज पर खड़ी है। सरकार और यूनियन के बीच समझौता नहीं होने की स्थिति में हालात बिगड़ सकते हैं। रेल-रोड कंडक्‍टर के संगठन ने बाइडेन सरकार द्वारा किए गए श्रम समझौते को मानने से इनकार कर दिया है। इससे अमेरिका में छुट्टियों से ठीक पहले राष्‍ट्रव्‍यापी माल ढुलाई हड़ताल होने की आशंका बढ़ गई है। 
दिसंबर के दूसरे सप्‍ताह के शुरुआत तक यदि सरकार और यूनियन के बीच कोई समझौता नहीं होता है तो अमेरिका वासियों को अप्रत्‍याशित स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। श्रम संगठन के नेताओं ने सरकार के साथ फिर से बातचीत बहाल करने की बात कही है। रेल कंपनियों और यूनियन के पास अभी भी ढाई सप्‍ताह का वक्‍त है। यदि दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बनती है, तो 9 दिसंबर से हड़ताल शुरू हो सकती है। हड़ताल होने की स्थिति में देश को रोजाना 2 अरब डॉलर (16,331 करोड़ रुपए) का नुकसान होगा। 
हड़ताल के ज्‍यादा लंबी होने की स्थिति देश को गंभीर आर्थिक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अमेरिका में तकरीबन 30 फीसद माल की ढुलाई रेल से होती है। नेशनल करियर कॉन्‍फ्रेंस कमेटी के अनुसार, समय रहते करार न होने की स्थिति में खराब होने वाले माल के शिपमेंट में कटौती होनी शुरू हो जाएगी, जिसका असर आर्थिक गतिविधियों पर पड़ सकता है। बता दें कि अमेरिका में 4 यूनियन हैं, जिनमें तकरीबन 60 हजार सदस्‍य हैं। यदि सरकार और श्रम संगठनों के बीच 8 दिसंबर तक कोई करार नहीं होता है, तो दो बातें हो सकती हैं। पहली, रेल-रोड कामगारों को काम पर आने से रोक सकता है या फिर कामगार खुद ही हड़ताल पर जा सकते हैं। हड़ताल होने की स्थिति में अमेरिकी संसद (कांग्रेस) हस्‍तक्षेप कर सकती है। रेलवे श्रम कानून में इस बात का प्रावधान किया गया है कि संसद रेल सेवा को बहाल करने के लिए कोई भी कानून बना सकती है।