नई दिल्ली । मंकीपॉक्स के बिना लक्षण वाले मामलों के संकेत मिलने लगे हैं। इसका पता दो अलग-अलग रिसर्च से चला है। एक रिसर्च के रिजल्ट में यह बात सामने आई है कि मंकीपॉक्स के कुछ मामलों में लक्षण नहीं नजर आ रहे हैं। यानी कि केवल लक्षण वाले व्यक्ति और उसके आसपास के लोगों की टेस्टिंग से ही मंकीपॉक्स का पता नहीं लगाया जा सकता है।
वहीं फ्रांस में एक अन्य अध्ययन बताता है कि संभावित या पुष्ट मंकीपॉक्स संक्रमण वाले लोगों और उनके संपर्क में आए लोगों का टीकाकरण करना ही इसको रोकने का कारगर तरीका नहीं हो सकता है।एक्सपर्ट का मानना है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप को रोकने के लिए हाई अलर्ट, निगरानी और रणनीतियों की बहुत जरूरत है. रिसर्च में बताया गया है कि साल 2022 मल्टी-कंट्री मंकीपॉक्स वायरस का प्रकोप पहले की महामारी को पार कर गई है।यह स्पष्ट नहीं है कि बिना लक्षण के या फिर अनियंत्रित वायरस के चलते मंकीपॉक्स के मामले बढ़ रहे हैं।इस रिसर्च का उद्देश्य यह आकलन करना था कि क्या मई 2022 में बेल्जियम के यौन स्वास्थ्य क्लिनिक में भाग लेने वाले पुरुषों में अनियंत्रित संक्रमण हुआ था।
जानकारी के मुताबिक जब लोगों के सैंपल लिए गए और उनमें से 4 लोगों में मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हुई थी।जिनमें से एक को भयंकर दांत दर्द था और बाकी तीन में किसी भी तरह के कोई लक्षण नहीं थे।करीब 21 से 37 दिनों के क्लिनिकल टेस्टिंग के बाद चारों क्लीनिकल लक्षणों से मुक्त थे और उन्होंने मंकीपॉक्स संबंधित किसी भी लक्षण को महसूस नहीं किया था।फ्रांस की एक अन्य रिपोर्ट 16 अगस्त को जर्नल एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुई थी।अध्ययन का उद्देश्य बिना लक्षण के एमएसएम (पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुष) के सैंपल में मंकीपॉक्स वायरस की उपस्थिति का आकलन करना है।5 जून से 11 जुलाई, 2022 तक 706 पुरुषों का सैंपल लिया गया।706 पुरुषों में से, 383 में मंकीपॉक्स के संक्रमण के लक्षण थे।