वास्तु एक समृद्ध विज्ञान है. घर में होने वाली हर गतिविधि, हर बदलाव, घर निर्माण घर में मरम्मत वास्तु को प्रभावित करता है. कभी वस्तुएं ठीक प्रकार से नहीं हो पाती तो जिससे घर में वास्तु दोष में आ जाता है. इसी में से एक है पानी का बहाव. पानी का बहाव चाहे फर्श का हो या छत का हो, हमेशा उत्तर या पूर्व में ही होना चाहिए. पानी का ढलान उत्तर पूर्व में होगा तो घर में सुख, समृद्धि रहेगी वह संतान से सुख मिलेगा. इसके पीछे का क्या कारण है आइए जानते हैं.
पानी का बहाव उत्तर-पूर्व दिशा के नीचा होने का प्रमाण होता है जो वास्तु के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है. घर की छत का ढलान भी उत्तर पूर्व में होना श्रेष्ठ होता है. जब बारिश पड़ती है तो पानी हमेशा उत्तर पूर्व दिशा की ओर जाना चाहिए. घर में पानी का बहाव पश्चिम दिशा में होने से संतान का अभाव देता है अथवा संतान संबंधी समस्याएं बनी रहती हैं. दक्षिण दिशा में पानी का बहाव धन को नष्ट करता है. घर में शांति समाप्त हो जाती है. परस्पर संबंध चाहे पिता-पुत्र के हों, सास-बहू के हों या भाई-भाई के, इनमें विकृति आ जाती है.
यदि घर के पानी का ढलान दक्षिण-पश्चिम में होता है तो यह गृह स्वामी के लिए बहुत ही अशुभ होता है. उनके स्वास्थ्य में हमेशा कोई न कोई परेशानी लगी रहती है. आग्नेय कोण में पानी का बहाव होने से महिला सदस्यों के स्वास्थ्य में परेशानी होगी. अथवा महिला सदस्य उस परिवार में प्रसन्न नहीं रहती. यदि आपके घर में ऐसी स्थितियां हों तो पानी के बहाव पाइप या नाली माध्यम से निकटतम किसी सीवर के सबटैंक में स्थानांतरित कर दें. इससे गलत दिशा में जा रहा पानी ढकी हुई नालियों के माध्यम से ही बाहर निकल जाएगा. सीधे घर से पानी बाहर जाना शुभ नहीं होता है. नालियां सदैव बंद होनी चाहिए. साथ ही नाली का पानी घर के अंदर दिखाई नहीं देना चाहिए. ढकी हुई नालियों में अथवा पाइप के द्वारा गंदे पानी की निकासी वास्तु के अनुसार ठीक होती है.
वास्तु नियमों के हिसाब से नाली का बहाव अर्थात पानी का ढलान उत्तर, पूरब, ईशान दिशा में होगा तो घर में निरंतर गति बनी रहेगी. परिवार धन-धान्य से सम्पन्न रहेगा. संतान से सम्मान मिलेगा. इन दिशाओं के अलावा पश्चिम, दक्षिण, आग्नेय एवं नैऋत्य कोण में पानी का बहाव है तो यह परिवार की गति को अवरूद्ध कर देगा. स्वास्थ्य हानि, खर्चे, विवाद निरंतर बने रहेंगे.