नई दिल्ली । दिल्ली के पास नोएडा में नई पॉलिसी लाई गई है। इस पॉलिसी के तहत अगर पालतू कुत्ता किसी को काटता है तब मालिक को 10 हजार रुपये का जुर्माना देना ही होगा साथ में पीड़ित का इलाज भी करना होगा। गुरुग्राम में भी कुत्तों की 11 विदेशी नस्लों पर प्रतिबंध लगाया है। 
इस साल 26 जुलाई को लोकसभा में केंद्र सरकार ने आवारा कुत्तों के काटने की घटनाओं से जुड़े आंकड़े दिए थे। केंद्र के मुताबिक देश में 2019 में आवारा कुत्तों के काटने की 72.77 लाख घटनाएं हुई थीं। 2020 में ये कम होकर 46.33 लाख हो गईं। 2021 में ये 17 लाख के आसपास आ गई। लेकिन इस साल जुलाई तक 14.50 लाख घटनाएं हो चुकी हैं। यहीं ट्रेंड चलाता हैं तब इस साल आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं 20 लाख के ऊपर जा सकती हैं। 
इस साल कुत्तों के काटने की सबसे ज्यादा घटनाएं तमिलनाडु (2.51 लाख) में हुई हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र में 2.31 लाख पश्चिम बंगाल में 1.33 लाख आंध्र प्रदेश में 1.15 लाख घटनाएं हुई हैं। यूपी में जहां 2019 में 20.23 लाख घटनाएं हुई थीं वहीं इस साल जुलाई तक घटकर 7180 पर आ गईं। 
देश में बढ़े कुत्तों के आतंक को देखकर सुप्रीम कोर्ट ने 12 अक्टूरबर को एनिमल वेलफेयर बोर्ड से सबसे ज्यादा कुत्तों की तबाही से परेशान राज्य और प्रमुख शहरों के 7 साल के आंकड़े मांगे थे। आंकड़ों में बताया गया कि साल 2021 में कुत्तों समेत दूसरे जानवरों ने हर दिन औसतन 19938 लोगों पर हमला किया या उन्हें काटकर नुकसान पहुंचाया। 
हर 5 साल में मवेशियों और आवारा जानवरों की गिनती होती है। आखिरी बार 2019 में गिनती हुई थी। इसके मुताबिक देश में आवारा कुत्तों की संख्या 1.53 करोड़ है। 2012 की तुलना में 2019 में आवारा कुत्तों की संख्या में कमी आई है। 2012 में आवारा कुत्तों की आबादी 1.71 करोड़ से ज्यादा थी। 
इन आवारा कुत्तों में से ज्यादातर का वैक्सीनेशन नहीं होता है। इसके बाद अगर ये किसी को काटते हैं तब उस रेबीज फैलने का खतरा बढ़ जाता है। वैसे रेबीज सिर्फ कुत्ते ही नहीं बल्कि और दूसरे जानवरों के काटने से भी फैलता है। लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में रेबीज के 96 प्रतिशत मामले कुत्तों के काटने से सामने आते हैं। 
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में रेबीज के मामले बढ़े हैं। जबकि 99 फीसदी लोगों को ये बीमारी कुत्तों के काटने से हो रही है। हर साल दुनिया में रेबीज से जितनी मौतें होती हैं उनमें से 36 प्रतिशत मौतें सिर्फ भारत में ही होती हैं। यानी रेबीज से होने वाली हर 100 में से 36 मौत भारत में होती हैं।