इटारसी-नागपुर रेलवे ट्रैक पर हादसा रविवार की सुबह ठीक 9.49 बजे का है। कासदा गांव की कृष्णा (40) अपनी देवरानी सरस्वती (38) के साथ खेत में घास काटने सुबह नौ बजे घर से कालाआखर जाने पैदल निकलीं। रेलवे ट्रैक उनका शार्टकट रास्ता था। सुखतवा नदी के पुल से 100 फीट पहले डाउन ट्रैक पर टर्निंग है। इसी समय पीछे से आ रही 12792 पटना-सिकंदराबाद एक्सप्रेस ने टक्कर मारी। दोनों महिलाएं ट्रेन के साथ घिसटती चलीं गईं। 40 वर्षीय कृष्णा बाई के पैर मुड़ गए। आधा सिर डेमेज हो गया। 38 साल की देवरानी सरस्वती बाई के दोनों पैर कट गए। सिर के चिथड़े उड़ गए।

घर से घटनास्थल आधा किमी था। हादसे की सूचना चॉबीमैन लक्ष्मीनारायण ने गांव आकर सूचना दी। इस हादसे ने 10 बच्चों से मां का साया छीन लिया। कृष्णा और सरस्वती का रिश्ता जेठानी-देवरानी का था। दोनों के पांच-पांच बच्चे हैं। कृष्णा का पति मूलचंद सुबह से बच्चों के साथ था। सरस्वती का पति पतिराम काम से दोपहर एक बजे आया। सरस्वती आशा कार्यकर्ता थी। कृष्णा की लड़की अंकिता (13) ने सुबकते हुए बताया कि इतवार को स्कूल की छुट्‌टी थी। हमने मना किया था कि चाची और मम्मी आज काम पर नहीं जाओ।

6 किलोमीटर दूर केसला थाने से पुलिस को घटनास्थल तक आने में दोपहर 1 बजे गए। 3 घंटे तक दोनों महिलाओं के परिजन और छोटे बच्चे शवों के पास भूखे-प्यासे बैठे रहे। उस बीच ट्रैक से चार ट्रेनें निकल चुकी थीं। मृतकों की चप्पलें, हंसिया, कपड़े, रोटी और चावल ट्रैक पर पड़े थे। केसला पुलिस दोपहर एक बजे आई। पंचनामा बनाया। शव इटारसी भेजने थे। पुलिस के पास खुद का वाहन नहीं था। पुलिस ने पूछा था-गाड़ी बुलवा लें। परिजनों के हामी भरने पर किराए की जीप बुलवाई।