भोपाल । बड़ी तेजी से  विलुप्त हो रही प्रजातियो में शामिल खरमोर पक्षियों के नर-मादा  जोड़ों का इंदौर फारेस्ट सर्कल  के अधीन   सरदारपुर अभयारण्य  में आना शुरू हो गया है।  इन पक्षियों   का समूह  वर्षा ऋतु से लेकर शरद ऋतु के आगमन तक यहीं निवास करता है। इसलिए  इन दुर्लभ प्रजाति के पक्षियों  की मेहमाननवाजी, मतलब संरक्षण  व संवर्धन के लिए  वन विभाग  40 लाख रुपए खर्च करेगा। इंदौर वन वृत्त के मुख्य  वन संरक्षक हरीश मोहंते ने बताया कि  यह दुर्लभ  खरमोर पक्षी हर साल  4  माह के लिए जुलाई  से अक्टूबर  तक  सरदारपुर अभयारण्य में  आकर  रहते हैं। यह पक्षी  प्रजनन व  वंश संवर्धन  करने, यानी अपना परिवार बढ़ाने के लिए इस मौसम और  इंदौर के जंगल में स्थित अभयारण्य व यहां के पर्यावरण को अनुकूल सुरक्षित मानते हैं। इसी वजह से हर साल दक्षिण भारत की दिशा से उड़ान भरते हुए यहां आते हैं। 4 महीने तक इनका डेरा-बसेरा यहीं रहता  है।

40 हजार हेक्टेयर का है खरमोर अभयारण्य  
खरमोर प्रजाति के पक्षियों की संख्या बड़ी तेजी घटने के कारण  सरकार ने इन्हें विलुप्त होने वाली प्रजाति की श्रेणी में शामिल कर रखा है। इस प्रजाति के संरक्षण व  संवर्धन के लिए मध्यप्रदेश सरकार  ने इंदौर वन वृत्त के आधीन सरदारपुर के जंगलों में लगभग 40 हजार हेक्टेयर वन सीमा को खरमोर अभयारण्य घोषित कर रखा है। इस अभयारण्य व इन प्रजातियों के रखरखाव व संरक्षण के लिए सरकार 1983 से अभी तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुकी है।  

पक्षीप्रेमी पर्यटकों की पसंद खरमोर अभयारण्य
सरदारपुर  के पास यह अभयारण्य इंदौर-अहमदाबाद नेशनल हाईवे से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। यहां खरमोर पक्षियों को देखने व इनके बारे में जानने के लिए देश-विदेश से कई पक्षीप्रेमी वन विभाग से इजाजत लेकर देखने आते व कुछ दिनों तक ठहरते हैं। यहां आने के लिए कई पर्यटक इंदौर से या मेघनगर से होते हुए यहां पहुंचते हैं। वन विभाग के अफसरों का कहना है कि खरमोर पक्षी को भारत सरकार ने विलुप्त प्रजातियों में शामिल कर रखा है। इसलिए सरकार इनके संरक्षण व संवर्धन पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। इंदौर वन वृत्त को भी इसके लिए 40 लाख रुपए दिए जाते हैं। इस प्रजाति के दुर्लभ होने के कारण सरकार इन पक्षियों के मौजूद होने की जानकारी या पता देने वाले को 5000 रुपए का इनाम भी देती है।