पटना । भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने  नीतीश की नाराज़गी दूर करने का फ़ैसला किया है और इस दिशा में उन्होंने अब नीतीश और भाजपा के बीच तालमेल और समन्वय का ज़िम्मा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंप दिया है। 
पार्टी के शीर्ष नेताओं खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ये ज़िम्मा मिलने के बाद शुक्रवार शाम ना केवल धर्मेंद्र प्रधान पटना आए बल्कि उन्होंने क़रीब डेढ़ घंटे से अधिक नीतीश कुमार से अकेले में सभी बिंदुओं पर बातचीत की। नीतीश ने उस बैठक के दौरान अपनी मन की बात कही और प्रधान ने न केवल उन्हें सुना बल्कि अलग-अलग मुद्दों पर पार्टी के स्टैंड की जानकारी दी। 
इस बैठक की ख़ास बात यह रही कि इसे आधिकारिक जामा पहनाने के लिए बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी को भी बुलाया गया और विभाग से संबंधित कुछ मुद्दों पर रायशुमारी हुई। फिर नीतीश कुमार और धर्मेंद्र प्रधान को राजकीय अतिथि शाला तक छोड़ने भी गए। जहां मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी भी थे और फिर वहां विधिवत आधिकारिक बैठक की फोटोग्राफी भी हुई। 
सूत्रों के मुताबिक, प्रधान की इस मुलाक़ात और यात्रा के बारे में बिहार भाजपा के अधिकांश वरिष्ठ नेताओं को भनक तक नहीं लगी और बिहार इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने तो शुक्रवार सुबह जब प्रधान दिल्ली जाने लगे तो उनसे मुलाक़ात की। दोनों उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी गुरुवार को कहीं नहीं उपस्थित थे। नीतीश इन दोनों उप मुख्यमंत्री से भी कभी सहज नहीं रहे और उनका मानना है कि सुशील मोदी का ना होना इस सरकार के लिए सबसे अधिक परेशानी का कारण है। आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल हो तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
लेकिन धर्मेंद्र प्रधान के बारे में बताया जा रहा है कि वो अब वैसी ही भूमिका अदा करेंगे जो दिवंगत अरुण जेटली नीतीश और भाजपा के बीच एक लंबे समय तक संकटमोचक की भूमिका निभाते थे। हालांकि, प्रधान के आने से नीतीश और उनके पार्टी के लोग इसलिए राहत की सांस लेंगे क्योंकि जब वो बिहार के प्रभारी थे। तो गठबंधन में कोई ख़ास तनाव कभी नहीं देखने को मिला। लेकिन भूपेन्द्र यादव के केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम को निश्चित रूप से एक बड़ा झटका लगा है।