केरल के सबसे भव्य और शानदार त्योहारों में से एक त्रिशूर पूरम आज (मंगलवार) को मनाया जा रहा है। आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र वडक्कुनाथन मंदिर है। त्रिशूर और उसके आसपास के छोटे मंदिरों से देवताओं का जुलूस मंगलवार सुबह वडक्कुमनाथन मंदिर में एकत्रित हुए। वडक्कुनाथन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहां लोग इस अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने आते हैं। त्रिशूर पूरम सात दिनों तक चलने वाला भव्य कार्यक्रम है, जिसे हर्षोल्लास और धूमधाम से मनाया जाता है।

इस त्योहार में हाथी बड़ी भूमिका निभाते हैं। उन्हें नेट्टीपट्टम (सजावटी सुनहरे आभूषण) से सजाया गया, जो घंटियों और गहनों से तैयार की जाती है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की वजह से पिछले दो सालों तक यह आयोजन स्थगित कर दिया गया था। यह त्योहार कोच्चि के महाराजा सकथाम थंपुरम के द्वारा शुरू किया गया था, जो तत्कालीन कोच्चि के एक शक्तिशाली शासक थे। उन्होंने 10 मंदिरों (परमेक्कावु, थिरुवंबाडी कनिमंगलम, करमुक्कू, लालूर, चूराकोट्टुकरा, पनमुक्कमपल्ली, अय्यनथोल, चेम्बुक्कावु, नेथिलाकावु) की भागीदारी के साथ उत्सव का आयोजन किया।

यह कार्यक्रम केरल के टूरिज्म डिपार्टमेंट औक केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के समग्र प्रयासों द्वारा किया जाता है। भले ही यह एक हिंदू त्योहार है, मुस्लिम और ईसाई समुदाय विभिन्न तरीकों से त्योहार में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इस त्योहार के आकर्षण के केंद्र में लोक नृत्य, एक हाथी परेड, आतिशबाजी और पंचवद्यम (लयबद्ध ड्रम बीट्स) भी शामिल हैं। मंगलवार की रात आतिशबाजी का रंगारंग प्रदर्शन होगा। यह मलयालम कैलेंडर के मेदम महीने में मनाया जाता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अप्रैल और मई के बीच आता है।