भोपाल । प्रदेश में जंगलों की सुरक्षा के लिए ढाई हजार मोबाइल खरीदे जाएंगे। इससे वनकर्मियों के लिए जंगलों की निगरानी करना आसान होगा। नए मोबाइलों के माध्यम से कोई भी घटना होने पर वन विभाग के आला अधिकारियों तक वीडियो एवं फोटो भेजे जा सकेंगे। अतिक्रमण के मामले में इसी फोन से भूमि का सर्वे किया जा सकेगा। वर्तमान में वनकर्मी निजी मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनमें नक्शा बनाने सहित अन्य सुविधाएं नहीं हैं। विभाग मोबाइल खरीदने के लिए जल्द ही निविदा निकालने जा रहा है। दरअसल, तकनीक का जमाना होने के बाद भी वन विभाग को जंगल में हुई घटनाओं की जानकारी समय से नहीं मिल पाती है। खासकर अतिक्रमण के मामले में मैदानी अमले को पता ही नहीं चलता है कि कितनी भूमि पर अतिक्रमण हो गया। विभाग की आइटी शाखा ने एक साफ्टवेयर तैयार किया है, जा यह काम आसानी से कर सकेगा। इसे नए मोबाइल में लोड किया जाएगा। इससे वनभूमि का माप आसान हो जाएगा। अक्षांश-देशांतर रेखाओं सहित वनभूमि की पूरी जानकारी सामने आ जाएगी। वन अधिकारियों का कहना है कि इससे यह पता लगाना आसान हो जाएगा कि अतिक्रमण वनभूमि पर किया गया है या नहीं। मोबाइल से फोटो, वीडियो और भूमि की पूरी जानकारी के साथ नक्शे भी विभाग के आला अधिकारियों को भेजे जा सकेंगे। जिससे कार्रवाई में देरी नहीं होगी।मोबाइल फोन खरीदने पर पांच करोड़ रुपये खर्च होंगे। एक मोबाइल की कीमत 20 हजार रुपये होगी। जिसमें कई सुविधाएं होंगी।अधिकारी बताते हैं कि पहले घने जंगलों में नेटवर्क की समस्या थी पर अब ऐसा नहीं है। सुदूर क्षेत्रों में टावर लगने के कारण संचार सुलभ हो गया है। विभाग ने 15 साल पहले वनकर्मियों को 10 हजार पर्सनल डिजिटल असिस्टेंस (पीडीए) मोबाइल दिए थे। इनका उपयोग भी विवादों में रहा। पहले तो ये घने जंगलों में काम ही नहीं कर पाए और फिर इनकी बैटरी खराब होने लगी। अब तक ये मोबाइल पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। पीडीए मोबाइल भी जंगल की हर जानकारी आला अधिकारियों तक समय से पहुंचाने के लिए दिए गए थे।