भोपाल  । मध्यप्रदेश में अब बिजली सप्लाई की लाइनों पर ड्रोन के जरिए नजर रखी जाएगी। विद्युत विभाग ने बिजली लाइनों में फाल्‍ट या टूट-फूट का जल्‍द पता लगाकर दुरुस्‍त करने और परिसंचरण में होने वाले लॉस को रोकने के लिए एक नई पहल की है। मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी फिलहाल अपनी 220 केवी अति उच्चदाब लाइनों की पेट्रोलिंग ड्रोन तकनीक से करवा रही है। पायलट प्रोजेक्ट में मिली सफलता के बाद मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी इस प्रोजेक्ट का दायरा विस्‍तारित कर रही है। प्रदेश की 35 साल से ज्‍यादा पुरानी लगभग 100 लाइन की मानिटरिंग के लिए मध्यप्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी पहली बार ड्रोन पेट्रोलिंग का इस्‍तेमाल कर रही है। टावरों की ड्रोन पेट्रोलिंग से प्राप्त डाटा का विश्लेषण कर जंग लगे एवं मिसिंग टावर पार्ट्स को चिह्नित कर सुधार कार्य समय पर संभव हो सकेगा। पहले चरण में 220 केवी अति उच्चदाब लाइनों के टावरों की ड्रोन पेट्रोलिंग की जा रही है। बाद में 400 एवं 132 केवी की अति उच्चदाब लाइनों की ड्रोन पेट्रोलिंग की जाएगी। ड्रोन पेट्रोलिंग कराने से दुर्गम इलाकों में टावरों की निगरानी संभव हो सकेगी। साथ ही किसी लाइन के फाल्ट होने पर ड्रोन से प्राप्त टावरों और लाइन की फोटो और वीडियो का तुंरत परीक्षण कर टूट-फूट की मरम्‍मत की जा सकेगी। इससे ब्रेकडाउन समय में उल्लेखनीय कमी आ सकेगी। इसके अलावा प्रिवेंटिव मेंटेनेंस में भी समय पर छोटे से छोटे फाल्ट की भी मॉनीटरिंग कर जरूरी सुधार किया जा सकेगा। पावर ट्रांसमिशन कंपनी प्रदेश में स्थापित 39572 सर्किट किलोमीटर लंबी अति उच्च दाब लाइनों का 79915 अति उच्च दाब टावर के सहारे विद्युत पारेषण करती है। पहाड़, नदी और तालाब सहित अनेक दुर्गम भौगोलिक इलाकों से गुजरने वाली इन लाइनों का समय पर उचित रखरखाव के लिए एडवांस और प्रभावी तकनीक का उपयोग करना जरूरी हो गया था, जिससे शासन की नीति के अनुसार चौबीसों घंटे निर्बाध विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके। मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी शुरुआती चरण में प्रदेश में 2850 किलोमीटर लंबी लाइनों के लगभग 10 हजार टावर की पेट्रोलिंग कर डाटा जुटाएगी। प्राप्त डाटा का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साफ्टवेयर से संग्रहण कर बारीकी से परीक्षण किया जायेगा। यह कार्य आगामी अक्टूबर से प्रारंभ कर मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है।